Thursday 10 August 2017

हामिद अंसारी का दुर्भाग्यपूर्ण बयान

हामिद अंसारी का दुर्भाग्यपूर्ण बयान
१० वर्ष के अनवरत कार्यकाल के बाद ८० बर्षीय उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का दूसरा कार्यकाल आज  पूरा हो गया  है. लेकिन  उनका बयान सुर्खियां बन रहा है. राज्यसभा टीवी को दिए  इंटरव्यू में हामिद अंसारी ने कहा कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है.

अंसारी ने कहा कि उन्होंने असहनशीलता का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट सहयोगियों के सामने उठाया है. उन्होंने कहा कि नागरिकों की (मुस्लिमों)  भारतीयता पर सवाल उठाए जा रहे हैं. उन्होंने सरकार को भी नसीहत दे डाली और कहा कि  जैसा कि डॉ. राधाकृष्णन ने कहा था कि लोकतंत्र का मतलब ही ये है कि अल्पसंख्यकों को पूरी तरह सुरक्षा मिले. लोकतंत्र तब तानाशाह हो जाता है जब विपक्षियों को सरकार की नीतियों की खुलकर आलोचना करने का मौका न दिया जाता .
श्रीआपको बता दे कि  अंसारी ने अपने कैरियर की शुरुआत भारतीय विदेश सेवा के एक नौकरशाह के रूप में 1961 में की थी और  उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था। अधिकतर समय वे अफगानिस्तानसंयुक्त अरब अमीरात, तथा ईरान में भारत के राजदूत के तौर रहे । 1984 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।. वे अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उपकुलपतिरहे और उप राष्ट्रपति से पहले वे अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष थे.
जाहिर है उनका ज्यादातर समय एक विशेष माहौल में गुजरा. लेकिन १० वर्ष तक उपराष्ट्रपति रहने के बाद और पूरे हिंदुस्तान का इतना मान साम्मान मिलने के बाद भी न तो वे वे अपना दिल बड़ा नहीं कर पाए और न ही धर्मनिरपेक्ष हो पाए. उन्होंने लगभग वही कहा जो पकिस्तान का तानाशाह परवेज मुशरफ कहा करता था. उनके इस बयान ने उनका कद एकदम बौना कर दिया और समूचे मुस्लिम समाज को अनायास शर्मिन्दिगी का शिकार बना दिया . अंसारी ने उन लोगों को, जो लोग कहा करते हैं  कि मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों को कितना ही बड़ा पद मिल जाय, कितने ही बड़े कलाकार बन जाय, वे अपने संकुचित दायरे से बाहर नहीं निकलते, को सही ठहरा दिया. अंसारी का बयान बेहद अफसोसजनक, शर्मनाक और उनकी निम्न स्तर की मानसिकता को दर्शाता है. सोचिये ऐसा व्यक्ति सयुंक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधि और कई देशो में भारत का राजदूत रहा है.
भारत में कई मुस्लिम राष्ट्रपति हुये है कई सर्वोच्च न्यायलय के प्रधान न्यायाधीश, न्यायाधीश, राज्यपाल, उपकुलपति और यहाँ तक कई खेलों में वर्षों कप्तान और मुख्य खिलाडी रहे हैं. मुस्लिम कलाकारों पर पूरे देश ने प्यार लुटाया . अगर भेदभाव होता तो क्या ये संभव था ?
क्या अंतर है ? हामिद अंसारी में   और मुख़्तार अंसारी में .

                     ************************

No comments:

Post a Comment